हर इंसान, “अपनों” को कैसे पहचाने ?…

नमस्कार दोस्तों ! आज हम लोग जानने वाले हैं कि हर इंसान, “अपनों” को कैसे पहचाने ? कौन उनके अपने हैं, और कौन उनके अपने नहीं है । तो दोस्तों, आज हम लोग जानने वाले हैं और पहचानने वाले हैं । दोस्तों ! इस नियम का इस्तेमाल करके, आप अपने जिंदगी की एक अच्छे दिन की शुरुआत, बहुत अच्छे से आप कर सकते हैं और यह नियम आपके शरीर में एक पॉजिटिव एनर्जी उत्पन्न कर देगा । दोस्तों यह नियम आपको कैसा लगा, आप कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं, जिससे मुझे पता चले कि मेरे प्यारे भारतीय लोगों को कैसा लगा । दोस्तों अगर कोई भी टॉपिक या शब्द समझ में ना आए, तो आप हमारे Contact Us पेज के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं, तो चलिए दोस्तों आगे बढ़ते हैं ।

सामान्य बात :-

दुनिया में हर एक इंसान, यही कहते आ रहे हैं, कि अगर आगे बढ़ना है, तो “अपनों” का साथ दो । ये सभी लोग जानते हैं ! कि, ये बात सही है । चाहे कुछ भी हो जाये, “अपनों” का साथ देना ही चाहिए ।

महत्वपूर्ण बात :-

लेकिन. लेकिन.. लेकिन… महत्वपूर्ण बात तो यह है, कि साथ देने से पहले, हम लोगों को यह जरूर पहचान लेना चाहिए कि कौन अपने हैं ! और कौन, अपने नहीं

सामान्य बात :-

दोस्तों ! क्या, अपने वही होते हैं ! जिनके साथ हमारा खून का रिश्ता हो, या फिर अपने दोस्त(friends) ! जिनसे हमारा खून का रिश्ता नहीं हो ! क्या ये… ?

महत्वपूर्ण बात : –

दोस्तों ! अगर सही मायने में बात की जाए, तो अपने वो होते हैं ! जो हमें अच्छे काम के लिए प्रेरित करें, और वो हमें आगे बढ़ाएं, हमारा साथ दें , अच्छा ज्ञान दे, और अच्छे रास्ते पर ले जाए, वो अपने होते हैं ।

सामान्य बात :-

दोस्तों ! अगर बात की जाए, जो अपने नहीं होते हैं ! और वो, जिनका साथ देने से हमारे समाज का नाश हो, और धर्म की हानि हो ! वो हमारे, सगे होकर के भी, सगे नहीं होते । दोस्तों मैं आपको एक उदहारण के द्वारा समझाने जा रहा हु !

जैसे :- महाभारत की युद्ध में, जब अर्जुन और श्री कृष्ण जी, रणभूमि में आये युद्ध के लिए । तो श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को बोले युद्ध करने के लिए ! तो अर्जुन ने युद्ध में देखा की, जिनसे मेरा युद्ध होने वाला है ! वो सब मेरे अपने ही है, ये देखकर अर्जुन ने अपना धनुष निचे कर लिए । तब श्री कृष्ण जी बोले ! हे पार्थ(अर्जुन) जिससे तुम अपना समझ रहे हो वो तुम्हारे अपने है ही नहीं । क्युकी जिन लोगो से समाज का नाश और धर्म की हानि होती है ! वो सगे होकर के भी सगे नहीं होते, अपना धनुष उठाओ पार्थ(अर्जुन), और युद्ध करो ! तब अर्जुन ने अपने धनुष उठाये और युद्ध के लिए तैयार हुए । इसिलिये हमे जरुरी है कि, हम अपनों की पहचान करना सीखे !
महत्वपूर्ण बात :-
दोस्तों, आप अपनी जिंदगी में, जब भी “अपनों” को चुनने जाएंगे ! तो आप उन्हें ही अपना माने, जो आपका साथ दे ! उन्हें नहीं, जो आपको गलत ज्ञान और गलत रास्ते पर ले जाए । उम्मीद करता हूं दोस्तों आपको यह सारी बात समझ में आए होंगे और आपको कोई भी शब्द समझने में परेशानी नहीं हुई होगी, और आप एक सही रास्ते पर चलेंगे, ऐसा मैं मान कर चलता हूं । धन्यवाद दोस्तों, जय हिन्द !

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