दोस्तों ! आज हम लोग यह जानने वाले हैं, हर माता-पिता अपनी बच्चों की भविष्य की चिंता करना चाहिए या उनके चरित्र का ? आज हम लोग बहुत ही आसान भाषा में बात करने वाले हैं ! अगर आपको कोई भी टॉपिक या शब्द समझ में ना आए तो, आप हमारे Contact Us पेज के माध्यम से, संपर्क कर सकते हैं ! दोस्तों आपको यह पोस्ट कैसा लगा, कमेंट सेक्शन में जरूर बताये , जिससे मैं जान पाऊ की , मेरे प्यारे भारतीय लोगो को कैसा लगा । तो चलिए दोस्तों आगे बढ़ते हैं !
सामान्य बात :-
आमतौर पर अगर देखा जाए, तो दुनिया में, बच्चों के “भविष्य” को सुख से भरने का प्रयत्न करना, यही हर माता–पिता का पहला कर्तव्य होता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात :-
महत्वपूर्ण बात तो यह है कि “संस्कार” और “शिक्षा” से मिलकर बनता है मनुष्य का “चरित्र” । अर्थात माता-पिता अपनी बच्चों का जैसा “चरित्र” बनाते हैं। वैसा ही बनता है उनका “भविष्य”
सामान्य बात :-
लेकिन अगर बात की जाए, तो दुनिया में, फिर भी अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों की भविष्य सुरक्षित करने की चिंता में, उनके “चरित्र” निर्माण करने का कार्य, भूल ही जाते हैं।
सबसे जरूरी बात :-
वस्तुतः जो माता-पिता अपने बच्चों की “भविष्य” की चिंता करते हैं उनकी बच्चों को कोई भी लाभ नहीं होता। किंतु जो माता-पिता अपने बच्चों की “भविष्य” की नहीं, उनके “चरित्र” का निर्माण करते हैं। उन बच्चों की प्रशस्ति, समस्त संसार करता है, इसलिए हर माता-पिता को अपनी बच्चों का सबसे पहले “चरित्र” निर्माण पर कार्य करना चाहिए, न कि उनके “भविष्य” पर । एक बार इसके बारे में जरूर सोचे और इस पर विचार करके अपने जीवन में जरूर अपनाएं । उम्मीद करता हूं दोस्तों आपको यह सारी बात समझ में आए होंगे और आपको कोई भी शब्द समझने में परेशानी नहीं हुई होगी, और आप एक सही रास्ते पर चलेंगे, ऐसा मैं मान कर चलता हूं । धन्यवाद दोस्तों, जय हिन्द !
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