दोस्तों आज हम लोग यह जानने वाले हैं “प्यार” धर्म है या अधर्म ? और “मोह” धर्म है या अधर्म ? यह दोनों के बारे में आज हम लोग बहुत ही आसान भाषा में बात करने वाले हैं अगर आपको कोई भी टॉपिक या शब्द समझ में ना आए तो आप हमारे Contact Us पेज के माध्यम से, आप हमसे संपर्क कर सकते हैं । तो चलिए दोस्तों आगे बढ़ते हैं !
सामान्य बात :-
दोस्तों अगर बात की जाए “प्यार” और “मोह” की, तो जहां “प्यार” होता है वहां वास्तव में “मोह” होता ही नहीं !
महत्वपूर्ण बात :-
दोस्तों बहुत लोग नहीं जानते कि “प्यार” और “मोह” का जन्म कहां से होता है तो चलिए दोस्तों इसके बारे में जानते हैं –“प्यार” का जो, जन्म होता है! वह करुणा से होता है । और “मोह” का जो, जन्म होता है ! वह अहंकार(घमंड) से होता है ।
सबसे जरूरी बात :-
“प्यार” की बात की जाए तो, “प्यार” कहता है मेरे बेटे को ईश्वर संसार के सभी सुख देंगे ! और अगर “मोह” की बात की जाए तो, “मोह” कहता है कि मैं अपने बेटे को संसार के सारे सुख दूंगा ! और “प्यार” कहता है मुझे अपने बेटे पर गर्व है ! और “मोह” कहता है , मेरे बेटे को मुझ पर गर्व हो ।
सामान्य बात :-
दोस्तों “प्यार” और “मोह” के बीच में अंतर तो आपको समझ में आ गए होंगे ! एक खास बात और जान लीजिए ! “प्यार” जो है, वह मुक्ति(आजादी) देता है दोस्तों, और “मोह” बांधता है । इससे यह सिद्ध होता है कि “प्यार” धर्म है दोस्तों, और “मोह” अधर्म । दोस्तों यह आपके ऊपर आधारित है, कि आप क्या चुनते है अपने जीवन में ! धर्म या अधर्म! अगर आप धर्म की रास्ते पर चलेंगे, तो आपके जीवन में कोई भी कठिनाई नहीं होगी ! मैं उम्मीद करता हूं कि आप सही रास्ते पर चलेंगे और आप को यह बात समझ में आए होंगे ।
Gr8 post..
thanks
Bilkul sahi baat hai..
thanks